बंगलादेश: 1972 धर्मनिरपेक्ष, 1988 इस्लामी राष्ट्र घोषित, तब से कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर हिंसा
बांग्लादेश में हिंदू 22 से घटकर रह गए हैं 8 फीसदी, राजनीतिक संकट में कट्टरपंथियों ने किए 205 से ज्यादा हमले। यानी आबादी के लिहाज से देखें तो बांग्लादेश की कुल आबादी 17 करोड़ के करीब है। इस हिसाब से हिंदुओं की आबादी 1.35 करोड़ है। कुछ रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अगले तीन दशकों में बांग्लादेश में हिंदुओं का वजूद समाप्त हो जाएगा।
1971 में पाकिस्तान से अलग होकर वजूद में आए बांग्लादेश ने 4 नवंबर 1972 को अपनाए गए संविधान में खुद को एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक देश घोषित किया था। लेकिन वो ज्यादा समय तक धर्म निरपेक्ष नहीं रहा और 7 जून, 1988 को उसने संविधान में बदलाव कर खुद को इस्लामी राष्ट्र घोषित कर दिया।
1971 में बांग्लादेश के वजूद में आने से पहले वहां भयानक हिंसा चल रही थी तो लाखों की संख्या में बांग्लादेशी लोग शरण की तलाश में भारत पहुंचे थे। तब से भारत में बांग्लादेशी शरणार्थियों को लेकर अलग-अलग दावे हैं। 2004 में यूपीए सरकार ने बताया था कि भारत में करीब 12 लाख अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं। लेकिन 2016 में इस संख्या को करीब 20 लाख बताया गया। जबकि 2018 में गृहमंत्री अमित शाह ने ये आंकड़ा 40 लाख के करीब बताया।
बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन ने शेख हसीना को छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया था। अब ढाका में नई अंतरिम सरकार बन गई है, फिर भी वहां विरोध प्रदर्शन नहीं रुक रहे। बांग्लादेश में इस समय सबसे ज्यादा हिंदुओं पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं हिंदुओं की दुकानों, मकानों और मंदिरों पर हमला किया गया। 5 अगस्त से लेकर अब तक बांग्लादेश के 52 जिलों में हिंदुओं के खिलाफ 205 घटनाएं हुईं। अब इस हिंसा के खिलाफ एकजुट होकर हिंदू प्रदर्शन कर रहे है। सोमवार शाम तो ढाका में सैकड़ों लोग शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा हुए। उन्होंने करीब 2 घंटे तक प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के दौरान हिंदुओं ने मानव श्रृंखला (Human Chain) बनाई। इस दौरान खिलाफ हिंसा बंद करने और उनके घरों और धार्मिक संस्थानों पर हमलों के लिए न्याय की मांग की गई। अपने हक के लिए नारे लगाए। इस दौरान चौराहे से वाहनों की आवाजाही रोक दी गई। हिंदू नरसंहार में हिंदुओं ने जिला मुख्यालय पर 2 घंटे तक प्रदर्शन किया। पीड़ितों ने 8 मांगें भी रखीं, जिसमें अल्पसंख्यकों पर हमलों में शामिल लोगों पर कार्रवाई के लिए विशेष न्यायाधिकरण का गठन और अल्पसंख्यक संरक्षण आयोग का गठन शामिल है। द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, अल्पसंख्यकों के लिए अलग मंत्रालय का गठन और अल्पसंख्यकों पर सभी प्रकार के हमलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की गई। बांग्लादेश में पीड़ित हिंदू चार दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं।
वैदिका गुप्ता