दलित समाज के बिना सनातन धर्म अधुरा है: डॉ अतुल कृष्ण
- सनातन धर्म की ज्योति को समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए बैठक का आयोजन किया गया
लखनऊ। सनातन संगम न्यास के संस्थापक डॉ अतुल कृष्ण की अध्यक्षता में बुधवार को एक बैठक का आयोजन दिक्षा इंस्टीट्यूट, भूतनाथ मार्केट में देवेश कुमार दीक्षित के संयोजन में किया गया। बैठक में सनातन धर्म के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विचार विमर्श किया गया। कार्यक्रम में सर्व प्रथम डॉ अतुल कृष्ण को देवेश दीक्षित ने बुके देकर सम्मानित किया। तत्पश्चात डॉ अतुल ने सनातन धर्म के प्रचार प्रसार लिए कार्य कर रहे लोगों को सम्मानित किया।
सनातन के बारे में बताते हुए डॉ अतुल कृष्ण ने कहा कि सनातन का अर्थ है, वह जो चिरकाल से है, जो शाश्वत है जो अपरिवर्तनीय है, जब इस शब्द का प्रयोग किसी दर्शन के संबंध में किया जाता है तो इसका अर्थ उन सिद्धांतों से होता है जो किसी व्यक्ति के द्वारा नहीं बनाए गए एवं स्वयं प्रकृति ने उन्हें मानव को उसके धर्म स्वरूप दिए हैं, उन्होंने कहा कि प्रकृति के द्वारा दिए गए सनातन मूल्य वे हैं जिन पर चलकर व्यक्ति अपना एवं संपूर्ण सृष्टि का मंगल कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह सनातन मूल्य प्रेम, करुणा, मैत्री, समानता सद्भावना एवं समन्वय का हैं।
डॉ अतुल ने कहा कि सनातन धर्म किसी जाति विशेष का नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज का है। जब हम दलित समाज को साथ लेकर नहीं चलेंगे तब तक सनातन धर्म की परिभाषा पूर्ण नहीं होगी है। सनातन प्रेम, करुणा, मैत्री, समानता, सद्भावना एवं समन्वय को समाहित किये हुए हिन्दू, जैन, सिख, बौद्ध सभी सनातनी पंथ है। डॉ. अतुल ने आगे कहा कि आज आपसी टकराव के कारण जो अंधकार चारों ओर फैला है उसे मिटाने का काम सनातन धर्म के माध्यम से ही हो सकता है।
कार्यक्रम में डॉक्टर राहुल मिश्र, रवि मोहन अवस्थी, तेज शंकर अवस्थी, अजय त्रिपाठी मुन्ना, एच कुमार स्वप्निल, भारत सिंह ने अपने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में रवि मोहन अवस्थी, एच.कुमार स्वप्निल, तेज शंकर अवस्थी, राहुल जायसवाल, सोनू प्रजापति, दिवाकर तिवारी, डॉ देवेन्द्र प्रताप बहादुर, अभिषेक रंजन, शिवसिंह, अभिषेक कुमार श्रीवास्तव, रूपेन्द्र कुमार शर्मा, रोशन खत्री, राकेश पाण्डेय, प्रशांत कुमार, पराग जी, अभय अवस्थी, विजय अवस्थी, हिमांशु भट्ट, प्रेमपाल जी सहित अन्य सनातनी मौजूद रहे।